Lok Sabha Election 2024: चुनावी पिच पर वीरेंद्र रावत की बल्लेबाजी,कोच की भूमिका में हरदा| उत्तराखंड की हरिद्वार सीट मा कांग्रेस न पूर्व मुख्यमंत्री हरीश का बेटा वीरेंद्र रावत तै सियासी मैदान मा उतारी च…भला ही चेहरा वीरेंद्र रावत कू च लेकिन दिग्गज नेता हरीश रावत की प्रतिष्ठा दांव मा गी है.चुनावी समर में परीक्षा वीरेंद्र रावत की होगा लेकिन रिपोर्ट कार्ड हरदा का खुलेगा.
हरिद्वार लोकसभा सीट पर प्रत्याशी उतारने में कांग्रेस ने भले ही देरी की हो लेकिन इस बार काफी सोचविचार कर कांग्रेस ने युवा चेहरे पर दांव खेला है.पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बेटे वीरेंद्र रावत को पार्टी ने चुनावी मैदान में बल्लेबाजी करने के लिए उतारा .तो पिता हरीश रावत कोच की भूमिका में आ गए.ये बात किसी से छिपी नहीं कि सियासत के अनुभवी हरीश रावत का उम्र के इस पड़ाव में भी राजनीति से मोह छूटा नहीं है.
हरीश रावत का इम्तिहान
हरिद्वार सीट से खुद चुनाव लड़ने के लिए ललाइत हरीश रावत की जिद बेटे को टिकट दिलाने पर जाकर पूरी हुई.भले ही इस बार हरीश रावत चुनावी पिच पर बैटिंग न कर रहे हों लेकिन अपने बेटे वीरेंद्र के कोच की भूमिका में जरुर नजर आ रहे हैं.और इसलिए कहा जा रहा है कि चुनीव परीक्षा भले ही वीरेंद्र रावत की हो लेकिन रिपोर्ट कार्ड हरदा का खुलेगा.सियासी जानकारों का मानना है कि वीरेंद्र रावत का प्रदर्शन हरिद्वार लोकसभा में हरीश रावत के दमखम को भी तय करेगा. उन्होंने इस जीत को अपने नेता की हरिद्वार में मजबूत पकड़ के तौर पर देखा.लेकिन अब हरीश रावत के सामने बेटे को लोकसभा चुनाव में जिताने की जिम्मेदारी है.एक तरह से ये हरीश रावत का इम्तिहान भी है.
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लगातार हार रहे हरीश रावत कई बार राजनीति से संन्यास लेने की बात कर चुके हैं। लेकिन हर चुनाव में फिर वे सक्रिय हो जाते हैं। अब इस चुनाव में यदि वीरेंद्र रावत को असफलता हाथ लगती है तो न केवल बीजेपी बल्कि उनकी पार्टी में विरोधियों की आवाज बुलंद हो जाएगी.साथ ही उनके बेटे की भविष्य की राजनीति की राह भी कठिन हो सकती है.
अब लोकसभा चुनावों के परिणाम ही तय करेंगे कि आखिर उत्तराखंड की राजनीति में आगे होता क्या है लेकिन एक बात तो साफ है कि ये चुनाव हरीश रावत विरोधी दलों और अपने दल के विरोधियों से तो लड़ ही रहे हैं साथ ही उस डर से भी लड़ रहे हैं जो उनके और परिवार के भविष्य को तय करेगा
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