2013 में केदारनाथ में आई आपदा के जख्म अभी भरे भी नहीं थे कि एक बार फिर से केदारनाथ में 31 जुलाई को आई आपदा ने उन जख्मों को हरा कर दिया. 2013 जैसी आपदा फिर केदारनाथ में आई है हालांकि केदारनाथ मंदिर इस आपदा से दूर रहा लेकिन केदारनाथ धाम जाने वाले और दर्शन कर लौटने वाले यात्रियों पर 31 जुलाई की रात भारी गुजरी।
दरसल केदारनाथ क्षेत्र में लिनचोली-भीमबली के बीच 02 स्थानों पर बादल फटने से भारी भूस्खलन और पानी के वेग से केदारनाथ पैदल मार्ग पर बनी 02 पुलिया के बहने के साथ ही कई स्थानों पर पैदल मार्ग करीब 30 मीटर तक तबाह हो गया है। साथ ही केदारनाथ धाम जाने वाला मार्ग सोनप्रयाग में 100 मीटर के दायरे में बुरी तरह ध्वस्त हो गया है। इस दौरान गौरीकुंड समेत पैदल मार्ग के पड़ावों पर ठहरे यात्रियों ने जंगल की ओर भागकर जान बचाई।
वर्षा और कड़ाके की ठंड में वे पूरी रात खुले आसमान के नीचे ठिठुरते रहे। सुबह होने पर एनडीआरएफ समेत पुलिस-प्रशासन की टीमों ने उन्हें सुरक्षित निकाला। यात्रियों का कहना था कि यह भी वर्ष 2013 के जैसा ही मंजर था।
गौरीकुंड से सोनप्रयाग आने वाले 7 हजार से अधिक लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है. आपदा प्रभावित क्षेत्रों में वायुसेना के दो हेलिकाप्टर, राज्य के चार हेलिकाप्टर रेस्क्यू कार्य में लगे है . वायुसेना के चिनूक और एमआई17 हेलीकॉप्टर लगातार बचाव अभियान में लगे है. वहीं राहत कार्यो में एनडीआरएफ की 12, एसडीआरएफ के 60 कर्मी और रूद्रप्रयाग जिला आपदा राहत दल के 26 कर्मी जुटे है.
आज सुबह से सोनप्रयाग में हाईवे के दूसरी तरफ फंसे यात्रियों को सकुशल बाजार तक पहुंचाने के लिए रेस्क्यू शुरु किया गया लेकिन यहां हाईवे से करीब 100 मीटर ऊपर से पहाड़ी दरक रही है जिससे सड़क का 60 मीटर हिस्सा ध्वस्त होकर मंदाकिनी नदी मे समा चुका है. ऐसे में जवान रस्सों के सहारे यात्रियों को एक एक कर पहाड़ी से उतार कर बाजार तक पहुंचा रहे है.
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बता दें कि आपदा की दृष्टि से केदारघाटी बेहद संवेदनशील है। अतिवृष्टि व भूस्खलन की घटनाएं यहां अमूमन होती रहती हैं। बुधवार रात भी केदारनाथ पैदल मार्ग पर लिनचोली से लेकर रामबाड़ा तक और भीमबली में हुई अतिवृष्टि ने वर्ष 2013 में आई आपदा की याद ताजा कर दी।
ऐसे में केदारनाथ में मौसम का पूर्वानुमान लगाने में स्थानीय प्रशासन नाकाम रहा मौसम विभाग के अलर्ट के बावजूद केदारनाथ मार्ग पर आई इस आपदा के बाद अब स्थानीय प्रशासन भी सवालों के घेरे में भारी बारिश के अलर्ट के बावजूद यात्रा को पहले ही क्यों नहीं रोका गया यह एक बड़ा सवाल है.
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