February 8, 2025

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Basant Panchami : बसंत पंचमी का इतिहास,इस दिन क्यों उड़ाई जाती है पतंग?

Basant Panchami 2024: बसंत पंचमी का इतिहास,इस दिन क्यों उड़ाई जाती है पतंग?|बसंत पंचमी का पर्व बेहद शुभ और पवित्र माना जाता है। मुख्य रूप से यह भारत के पूर्वी हिस्सों में, विशेषकर पश्चिम बंगाल और बिहार में, सरस्वती पूजा के रूप में मनाया जाता है। वहीं उत्तर भारत में यह पतंगों के त्योहार के रूप में मनाया जाता है। यह वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक भी है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, यह माघ मास के पांचवें दिन पड़ता है। इस दिन को लेकर कई सारी मान्यता है। बसंत पंचमी का पर्व क्यों मनाया जाता है? इसके पीछे का एक दिलचस्प इतिहास है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता सरस्वती जिन्हें विद्या, संगीत और कला की देवी कहा जाता है उनका अवतरण इसी दिन हुआ था और यही कारण है कि भक्त इस शुभ दिन पर ज्ञान प्राप्त करने के लिए उनकी पूजा करते हैं। साथ ही इसे सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है।

बसंत पंचमी का पर्व स्कूल, कॉलेज, शैक्षणिक संस्थानों में भी मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो जातक इस अवसर पर माता सरस्वती की पूजा सच्ची भक्ति के साथ करते हैं उन्हें मां बुद्धि, विद्या और ज्ञान प्रदान करती हैं, क्योंकि वे ज्ञान की स्वामिनी हैं।

इस पर्व पर छात्र और शिक्षक नए कपड़े पहनते हैं और ज्ञान की देवी की विशेष पूजा करते हैं। साथ ही देवी को प्रसन्न करने के लिए गीत और नृत्य आदि का आयोजन करते हैं।

बसंत पंचमी के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा

वहीं बसंत पंचमी के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा भी काफी पुरानी है। मकर संक्रांति के पर्व में आकाश में उड़ती हुई रंग बिरंगी पतंगे इस त्योहार में चार चांद लगा देती हैं. मकर संक्रांति को कई जगहों पर पतंग पर्व भी कहा जाता है. बच्चों के अलावा पतंग प्रेमी भी इस दिन पूरे जोश और उत्साह के साथ पतंग उड़ाते नजर आते हैं। दरअसल, बसंत ऋतु के आगमन के साथ फसलों पर भी हरे-पीले फूल खिल जाते हैं। इसी खुशी को लोग पतंग उड़ाकर जाहिर करते हैं। आसान शब्दों में कहे तो पतंगबाजी बसंत ऋतु की शुरुआत की खुशी को मनाने का एक तरीका है।

सनातन धर्म में बसंत पंचमी का महत्व

सनातन धर्म में बसंत पंचमी का विशेष महत्व होता है। क्योंकि, इसी दिन से नए मौसम और नई फसल की शुरुआत हो जाती है। इस समय में सरसों के फूल और गेंदे के फूल की प्रचुरता होती है। इसलिए लोग वसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र पहनकर त्योहार को धूम धाम से मनाते हैं। मान्यता है कि इसी दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। इसलिए, लोग बसंत पंचमी के अवसर पर विद्या की देवी सरस्वती की पूजा करते हैं। कई जगहों पर विद्या आरंभ के लिए भी यह दिन महत्वपूर्ण माना जाता है।

बसंत पंचमी के दिन अलग-अलग राज्य में अलग-अलग पकवान बनाने का विशेष महत्व है.

पंजाब और हरियाणा

 

पंजाब और हरियाणा के लोग भी इस त्योहार को बड़ी धूम धाम से मानते हैं. इस दिन लोग स्वादिष्ट भोजन जैसे मक्के की रोटी और सरसों का साग, खिचड़ी और मीठे चावल बनते हैं.

 

उत्तर प्रदेश और राजस्थान

 

उत्तर प्रदेश और राजस्थान के लोग इस दिन मां सरस्वती की पूजा अर्चना करते हैं. इस दिन पीले चावल केसर वाले बनाए जाते हैं. राजस्थान में लोग इस दिन चमेली की माला पहनते हैं.

 

पश्चिम बंगाल

 

इस दिन देवी सरस्वती की मूर्ति पंडाल में सजाई जाती है, साथ भी मां की आराधन विधि पूर्वक की जाती है . मां सरस्वती को मीठे पीले चावल और बूंदी के लड्डू चढ़ाते हैं. बंगाल में कम से कम 13 व्यंजन बनाने की रस्म होती है.

 

बिहार

 

बिहार में लोग इस दिन लोग बूंदी के लड्डू और खीर चढ़ाते हैं और मां सरस्वती को इसका भोग लगवाते हैं और अपने जानने वाले लोगों में इसको बटवाते हैं.

उत्तराखंड

हिमालय राज्य उत्तराखंड में बसंत पंचमी के दिन पीली खिचड़ी बनाई जाती है और इसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है.