February 8, 2025

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नशा मुक्त उत्तराखंड: प्रदेश में पहली बार मानसिक स्वास्थ्य नियमावली लागू 

नशा मुक्त उत्तराखंड: प्रदेश में पहली बार मानसिक स्वास्थ्य नियमावली लागू | पहली बार नशा मुक्ति केंद्रों में मरीजों की देखभाल के लिए एक विशेष मानसिक स्वास्थ्य नियमावली का आयोजन किया गया है। इस नियमावली के अंतर्गत, नशा मुक्ति केंद्रों में मरीजों का उत्पीड़न रोकने, उनके लिए बेहतर और सही इलाज की सुनिश्चितता होगी।

नशा मुक्ति केंद्रों की संख्या: बेहतर इलाज की दिशा में कदम

प्रदेश में अब तक, 110 नशा मुक्ति केंद्रों ने नई नियमावली के तहत पंजीकरण के लिए आवेदन किया हैं। यह नकारात्मक प्रभावों को कम करने और मरीजों को बेहतर इलाज प्रदान करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। इन केंद्रों के माध्यम से, समाज को सशक्तिकृत करने का अभ्यास हो रहा है जिससे नशा मुक्ति कार्यक्रमों को एक नई ऊचाई मिली है।

 

नई नियमावली के फायदे: उत्पीड़न का निरोध और बेहतर इलाज

यह नई मानसिक स्वास्थ्य नियमावली ने नशा मुक्ति केंद्रों में मरीजों को उत्पीड़न से बचाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। डॉक्टर की सलाह के माध्यम से इन केंद्रों में होने वाली मरीजों की देखभाल में विशेषज्ञता बढ़ी है, जिससे उन्हें सही इलाज मिल सकता है। नियमावली ने नशा मुक्ति कार्यक्रमों को पुनर्निर्माण करने में मदद की है और समाज को एक स्वस्थ और नशा मुक्त समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ने में सहारा प्रदान किया है।

 

नई नियमावली का प्रभाव: समाज में सकारात्मक परिवर्तन

नई मानसिक स्वास्थ्य नियमावली के लागू होने से पहले, नशा मुक्ति केंद्रों में मरीजों की चयन प्रक्रिया बेहद सामान्य थी, लेकिन नई नियमावली ने इसमें सुधार करने का कारगर तरीका प्रदान किया है। अब, डॉक्टर की सलाह अनिवार्य होने से मरीजों को सही स्थिति और उपायों के बारे में बेहतर जागरूकता हो रही है जिससे उन्हें सटीक और समर्थन मिल सकता है।

उत्तराखंड में नशा तस्करी को रोकने और नशे के तंत्र को ध्वस्त करने के लिए धामी सरकार सख्त कदम उठा रही है। प्रदेश में नशा मुक्ति केंद्रों को संचालित करने को मानसिक स्वास्थ्य नियमावली लागू की है। सरकार ने उत्तराखंड को वर्ष 2025 तक ड्रग्स फ्री बनाने का लक्ष्य रखा है। नशे से ग्रस्त व्यक्तियों को मुख्यधारा से जोड़ने व पुनर्वास के लिए प्रदेश के सभी जनपदों में नशा मुक्ति केंद्रों को प्रभावी बनाया जा रहा है।

 

वर्तमान में चार इंटीग्रेटेड रिहैबिलिटेशन सेंटर फॉर एडिक्ट्स संचालित किए जा रहे हैं। राज्य सरकार की ओर से समाज के कई वर्गों और विशेषकर युवाओं में नशे के दुष्परिणामों को लेकर अभियान चलाया जा रहा है। ऐसे में नशे की गिरफ्त में आए लोगों को काउंसिलिंग और इलाज कर नशे से दूर किया जाएगा।

उत्तराखंड में मानसिक रोगियों की संख्या 11.70 लाख

उत्तराखंड में भी युवाओं में नशे की प्रवृत्ति एक प्रमुख समस्या के रूप में उभर कर सामने आ रही है। जिसका उनके मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2001 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्तियों का औसत कुल आबादी को 10 प्रतिशत है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड में मानसिक रोगियों की संख्या 11.70 लाख होने का अनुमान है।

 

गढ़वाल, कुमाऊं में 100 बेड के नशा मुक्ति केंद्र बनाने की योजना

नशे के आदी हो चुके लोगों के लिए इलाज के लिए प्रदेश सरकार की गढ़वाल और कुमाऊं में 100 बेड के नशा मुक्ति केंद्र बनाने की योजना है। अभी तक सेलाकुई में प्रदेश का एक मात्र मानसिक रोग अस्पताल है।

नशा छुड़वाने को टेली काउंसिलिंग की सुविधा

प्रदेश सरकार नशा मुक्ति के लिए बेहतर सेवाएं और इलाज की व्यवस्था कर रही है। नशा छुड़वाने के लिए टेली काउंसिलिंग की सुविधा भी दी जा रही है। टेली मानस के तहत 24 घंटे मानसिक स्वास्थ्य सहायता मुहैया कराई जा रही है। इसके लिए टोल फ्री नंबर-14416 एवं 18008914416 है।

 

नियमों का उल्लंघन करने पर जेल और जुर्माना

मानसिक स्वास्थ्य नियमावली का उल्लंघन करने पर दो लाख की जेल और पांच लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। पहली बार में उल्लंघन करने पर पांच से 50 हजार रुपये, दूसरी बार में दो लाख और बार-बार उल्लंघन पर पांच लाख जुर्माने किया जाएगा।

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