February 7, 2025

LIVE SAMIKSHA

KHABAR KA ASAR

Aadi Badri Temple:श्रद्धालुओं के लिए 14 जनवरी मकर संक्रांति पर खुलेंगे आदिबद्री के कपाट

*Aadi Badri Temple:श्रद्धालुओं के लिए 14 जनवरी मकर संक्रांति पर खुलेंगे आदिबद्री के कपाट*

आदिबद्री जैसे कि नाम से पता चलता है ‘आदि’ का अर्थ ‘प्राचीन’ और ‘बद्री’ का अर्थ ‘भगवान विष्णु’। भगवान विष्णु का सबसे पहला निवास स्थान आदिबद्री को माना जाता है। आदिबद्री मंदिर भगवान नारायण को समर्पित है, जो कि विष्णु जी के अवतार है। उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण से लगभग 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित आदिबद्री मंदिर के कपाट 14 जनवरी को मकर सक्रांति के दिन श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे। इस बीच 1 हफ्ते के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होगा। भगवान आदिबद्री मंदिर के कपाट साल में पौष माह लिए बंद रहते हैं। 15 दिसंबर को मंदिर के कपाट बंद हो गए थे, लेकिन हर साल मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के कपाट दोबारा खोल दिए जाते हैं।

*आदिबद्री के दर्शन किए बिना नहीं मानी जाती यात्रा पुरी*

भगवान विष्णु का यह मंदिर श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। मंदिर के अंदर भगवान नारायण की एक पूजनीय काले पत्थर की मूर्ति है। मूर्ति में कमल,चक्र और गदा है। कहा जाता है कि बद्रीनाथ से पहले आदिबद्री की पूजा की जाती है और बद्रीनाथ की यात्रा तब तक पूरी नहीं मानी जाती जब तक पर्यटक आदिबद्री के दर्शन ना करें। पहले आदिबद्री 16 मंदिरों का समूह था। लेकिन अब 14 मंदिर ही रह गए हैं, क्योंकि 16 में से 2 मंदिर पहले ही खंडित हो गए थे। इन 14 मंदिरों के बारे में बताया जाता है कि भगवान के सभी गण जैसे कि गणेश जी, अन्नपूर्णा देवी, लक्ष्मी नारायण, हनुमान जी, गोरी शंकर, सत्यनारायण, कुबेर भगवान इत्यादि मौजूद हैं।

*किस उद्देश्य से कराया गुरु शंकराचार्य जी ने मंदिर का निर्माण*

ऐसा माना जाता है कि आदि गुरु शंकराचार्य जी ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। गुरु शंकराचार्य जी ने इन मंदिरों का निर्माण इसलिए कराया था क्योंकि उनका उद्देश्य हिंदू धर्म (सनातन धर्म) को बढ़ावा देना था। पहले के ऋषियों ने भविष्यवाणी की थी कि कलयुग खत्म होने के बाद भगवान विष्णु भविष्य सतयुग में बद्री में अपना निवास स्थान पर बना लेंगे।